CJI चंद्रचूड़ के पास पहुंची बांग्‍लादेश से सूफी संत का शव भारत लाने की याचिका, SC को कहना पड़ा- आप कैसे…

नई दिल्‍ली. सुप्रीम कोर्ट में अक्‍सर ऐसी याचिकाएं आती रहती हैं, जो काफी हटकर होती हैं. इसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ऐसी ही याचिका का निस्‍तारण किया है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष यह याचिका सूचीबद्ध हुई थी, जिसे खारिज कर दिया गया. याची ने बांग्‍लादेश की राजधानी ढाका से एक सूफी नेता का शव भारत लाने की मांग की थी. CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि यदि वह भारतीय नागरिक होते तो हम भारत सरकार से उनका शव देश लाने का प्रयास करने को कहते, लेकिन इस मामले में हम ऐसा नहीं कर सकते हैं.

दरअसल, बांग्लादेश की राजधानी ढाका में सूफी संत हजरत शाह मुहम्मद अब्दुल मुक्तदिर शाह मसूद अहमद का इंतकाल हो गया था. उनके पार्थिव शरीर को लाने की मांग करते हुए एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी. शीर्ष अदालतने इस पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्‍यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने कहा कि कोई भी किसी विदेशी के शव को भारत वापस लाने के अधिकार का दावा नहीं कर सकता. यदि यह भारतीय नागरिक होते तो हम सरकार से प्रयास करने के लिए कह सकते थे. किसी विदेशी नागरिक के शव को भारत लाने के लिए कोई भी मांग स्‍वीकार नहीं की जा सकती है.

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पाकिस्‍तानी थे सूफी संत मसूद अहमद
जानकारी के अनुसार, सूफी संत शाह मसूद अहमद पाकिस्‍तानी नागरिक थे. इंतकाल के बाद उनके शव को बांग्‍लादेश में ही दफना दिया गया. अब दरगाह हजरत मुल्‍ला सैय्यद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उनके शव को भारत लाने की मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने याची के वकील से पूछा कि वह पाकिस्‍तानी नागरिक थे, ऐसे में आप यह कैसे अपेक्षा कर सकते हैं कि उनके शव को भारत लाया जाए?

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सूफी संत की अंतिम इच्‍छा
दरगाह हजरत मुल्‍ला सैय्यद की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश अध‍िवक्‍ताने कोर्ट को बताया कि सफूी संत का जन्‍म प्रयागराज में हुआ था. बाद में व‍ह पाकिस्‍तान चले गए और वर्ष 1992 में उन्‍हें पाकिस्‍तान की नागरिकता हासिल हो गई थी. याची ने कोर्ट को बताया कि साल 2021 में उन्‍होंने अपना वसीयतनामा बनाया जिसमें उन्‍होंने इच्‍छा जताई कि उनका इंतकाल होने के बाद उन्‍हें भारत में स्थित दरगाह में ही दफनाया जाए.

Tags: DY Chandrachud, Supreme Court

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